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उदयपुर की घटना उस शिक्षा का दुष्परिणाम है जो मदरसों में दी जा रही है : आरिफ मोहम्मद खान राज्यपाल केरल
आखिर उदयपुर की घटना आतंकी हमला ही साबित होती जा रही है। राजस्थान सरकार इसे कल और आज हत्या या नृशंस हत्या बताती रही, लेकिन पाकिस्तान के एक संगठन से इन दोनों अपराधियों का लिंक मिलते ही यह आतंकी घटना में तब्दील हो गई है।
इस बीच केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का कहना है कि यह घटना दरअसल, उस शिक्षा का दुष्परिणाम है जो मदरसों में दी जा रही है। उनका कहना है कि मुस्लिम कानून कुरान पाक से नहीं आया है बल्कि इसे किसी इंसान ने ही लिखा है। इस कानून में ईश निंदा करने वाले का गला काटने की बात कही गई है और यह सब मदरसों में पढ़ाया जा रहा है।
उन्होंने तो यह भी कहा है कि अगर मदरसे ऐसी ही शिक्षा देने पर उतारू हैं तो उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए या मुस्लिम बच्चों को मदरसों की बजाय शुरुआत से स्कूलों में ही भेजा जाना चाहिए।
बात यहां भी नहीं रुकती। जब बचपन से आप किसी को पढ़ाएंगे कि ईश निंदा करने वाले का गला काट देना चाहिए तो बड़ा होकर वह भले ही यह न करे लेकिन कोई उसे इसके लिए उकसाने लगे तो ऐसा करने के लिए उसका कन्विन्स होना ज्यादा आसान होता है।
पाकिस्तान में बैठे सुन्नी उग्रवादी संगठन दावत-ए-इस्लामी ने भी यही किया होगा। कराची बेस्ड इस संगठन का संबंध तहरीक-ए-लब्बायक नामक उग्रवादी संगठन से भी है। जांच एजेंसियों को उदयपुर की घटना में इस संगठन के शामिल होने के संकेत मिले हैं।
कुल मिलाकर पाकिस्तान इन उग्रवादियों को संरक्षण देता है। बहुत हद तक आर्थिक और दूसरी मदद भी मुहैया कराता है और भारत के खिलाफ इनका इस्तेमाल करता है। हालांकि, पाकिस्तान की खुद की अर्थव्यवस्था श्रीलंका की राह पर है। कोई उसे कर्ज तक देने को तैयार नहीं है। शायद इसीलिए भारत की उन्नति, उसका विकास, उसकी लगातार सुदृढ़ होती आर्थिक स्थिति पाकिस्तान से देखी नहीं जाती।
जब भी भारत प्रगति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा होता है, पाकिस्तान इस तरह की कोई न कोई हरकत जरूर करता है। इस ऐतिहासिक सच के बावजूद कि हर बार उसकी साजिश पकड़ी जाती है, उजागर हो जाती है, दुनिया को वह दिखाना चाहता है कि भारत में अत्याचार हो रहा है, लेकिन हर बार दुनिया की नजर में पाकिस्तान ही दोषी पाया जाता है।
सच है, अगर आरिफ मोहम्मद खान सही कह रहे हैं, जो कि राज्यपाल की गरिमा के अनुसार सही ही होंगे, तो क्यों न मदरसों को बंद किया जाए या कम से कम उनमें इस तरह की गला काट शिक्षा देना बंद किया जाए।
उदयपुर जैसी घटनाएं जब होती हैं तो इस तरह के सवाल उठना लाजिमी हो जाता है लेकिन जो आरिफ मोहम्मद कह रहे हैं, उसकी हमारी शासन व्यवस्था को खबर नहीं होगी? जरूर होगी। लेकिन शासन व्यवस्था और उसे चलाने वाले नौकरशाह भी जड़ हो चुके हैं। उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ता। तभी तो उदयपुर के दर्जी कन्हैयालाल के दस दिन पहले पुलिस से शिकायत करने के बावजूद उसका गला काट दिया जाता है और व्यवस्था लकीर पीटती रह जाती है।