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Shani Jayanti 2022: शनि जयंती पर शनि देव को ऐसे करे प्रसन्न और पाए साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि की पीड़ा से राहत, जानें मुहूर्त एवं पूजा विधि
शनि जयंती (Shani Jayanti) 30 मई दिन सोमवार को है. इस दिन सोमवती अमावस्या और वट सावित्री व्रत भी है. पौराणिक कथाओं के आधार पर शनि देव का जन्म ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को हुआ था. हर वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है.
शनि देव के श्याम रंग में होने का कारण?
शनि देव का जन्म हुआ था, तो वे काले रंग के थे. इसका कारण यह था कि माता छाया ने उनके गर्भ के समय भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी, जिसका प्रभाव शनि देव पर भी पड़ा. इस वजह से वे श्याम वर्ण के हो गए. उनके श्याम वर्ण होने के कारण पिता सूर्य देव ने पत्नी छाया पर संदेह किया था, तो शनि देव के क्रोध के परिणाम स्वरूप सूर्य देव काले हो गए थे और उनको कुष्ठ रोग हो गया था. शनि देव ने भगवान शिव को प्रसन्न करके वरदान प्राप्त किया था कि वे लोगों को उनके कर्मों के अनुसार ही फल देंगे. इस बार शनि जयंती पर आप शनि देव को प्रसन्न करके साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि की पीड़ा से राहत पा सकते हैं.
आईये जानते है शनि जयंती (Shani Jayanti) की पूजन सामग्री और पूजा विधि के बारे में.
शनि जयंती 2022 तिथि, Shani Jayanti 2022 Date
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 29 मई, रविवार, दोपहर 02:54 बजे से
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का समापन: 30 मई, सोमवार, शाम 04:59 बजे
शनि जयंती पूजा मुहूर्त: 30 मई, सुबह 07 बजकर 12 मिनट से, सर्वार्थ सिद्धि योग में
दिन का शुभ समय: 11:51 बजे से दोपहर 12:46 बजे तक
शनि जयंती 2022 पूजन सामग्री
शनि जयंती के दिन कर्मफलदाता शनि देव की पूजा के लिए कुछ आवश्यक सामग्री की आवश्यकता पड़ती है. इसकी लिस्ट नीचे दी गई है.
1. शनि देव की मूर्ति या तस्वीर
2. काला और नीला वस्त्र
3. काला तिल
4. नीले फूल, पुष्प माला
5. सरसों का तेल, तिल का तेल
6. शनि चालीसा, शनि देव की जन्म कथा की पुस्तक
7. शमी का पत्ता
8. अक्षत्, धूप, दीप, गंध, जल, बत्ती
9. हवन सामग्री
दान की सामग्री
शनि जयंती के अवसर पर काला तिल, काली उड़द, लोहा, स्टील के बर्तन, जूते, चप्पल, शनि चालीसा, काला या नीला वस्त्र, सरसों का तेल, तिल का तेल, नीले फूल आदि का दान करना चाहिए.
शनि जयंती (Shani Jayanti) पूजा विधि
30 मई को सुबह स्नान आदि के बाद शनि मंदिर में जाकर शनि देव की पूजा करें. उनको अक्षत्, पुष्प माला, नीले फूल, शमी का पत्ता, धूप, दीप, गंध, काला तिल, सरसों का तेल, वस्त्र आदि अर्पित करें. इस दौरान शनि देव के मंत्र ओम शं शनैश्चराय नमः मंत्र का उच्चारण करें. इसके पश्चात शनि चालीसा, शनि स्तोत्र और शनि देव की जन्म कथा पढ़ें. पूजा का समापन शनि देव की आरती से करें.
पूजा के अंत में शनि देव से क्षमा प्रार्थना कर लें. फिर अपनी मनोकामना उनके समक्ष व्यक्त कर दें. शनि देव से साढ़ेसाती एवं ढैय्या में पीड़ा से राहत प्रदान करने का भी निवेदन कर सकते हैं.